प्राची मूल रूप से समस्तीपुर की हैं और कुछ सालों से दिल्ली में रह रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद फिलहाल प्राची वहीं से हिन्दी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रही हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर वह हमेशा से ही क्रिएटिव राइटिंग क्लबों से जुड़ी रही हैं और अपनी लेखनी से अपनी मौजूदगी का एहसास कराती रही हैं। अपने लेखन में प्राची अपनी सारी आधुनिकता समाहित करने के बावजूद एक देसीपन का छुअन छोड़ जाती हैं। उनकी कविताओं में दिल्ली की बेफिक्री के साथ मिथिला की संजीदगी भी बराबर की हिस्सेदार है। इसीलिए अपने बारे में जब प्राची खुद को “सोशली अनसोशल” कहती हैं तब इस बेफिक्री और संजीदगी का मिश्रण देखा जा सकता है। इनकी कविताओं का विषय अक्सर स्त्रीमय और देसी होता है। इनकी कविताओं में नारीवाद, देसीपन और शहरी नजरिए का खुबसूरत नज़ारा दिखता है।
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Quote of the day: “Life is brighter than we think and better as we are. We just need to open our eyes and follow our heart.”
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