Homeएक कविता बिहार सेज़िन्दगी के आपाधापी की खामियां गिनाती राजेश कमल की ‘एक कविता बिहार से’ Mayank Jha एक कविता बिहार से राजेश कमल का जन्म सहरसा में हुआ और फ़िलहाल पटना में रहते हैं। समाज से काफ़ी जुड़े होने के कारण उनकी कविताओं में प्रेम, समाज, देश, राजनीति के मानवीय भावनाओं का समावेश दिखता है। समकालीन परिस्थितियों को राजेश शब्दों में घोल कर अपनी कविताओं में प्रस्तुत करते हैं। प्रस्तुत कविता में राजेश ज़िन्दगी की आपाधापी में छोटे-छोटे लम्हों को न जी पाने की कसक की बात कर रहे हैं। आज ‘एक कविता बिहार से’ में प्रस्तुत है राजेश कमल की कविता ‘कभी कभी सोचता हूँ’: Share Pin कभी कभी सोचता हूँ कितना अच्छा होता अगरयारों के साथकरता रहता गप्पऔर बीत जाता यह जीवन कितना अच्छा होता अगरमाशूक़ की आँखों मेंपड़ा रहता बेसुधऔर बीत जाता यह जीवनलेकिनवक़्त ने कुछ और ही तय कर रख्खा थाहमारे जीने मरने का समयमुंह अँधेरे से रात कोबिछौने पर गिर जाने तक का समयऔर कभी कभी तो उसके बाद भी कि अब याद रहता है सिर्फ कामकाम याने जिसके मिलते हैं दामदाम याने हरे हरे नोट कि वर्षों हो गएउस पुराने शहर को गएजिसने दिया पहला प्रेमकि वर्षों हो गएउस पुराने शहर को गएजिसने दी यारों की एक फ़ौज और अब तोभूल गया माँ को भीजिसने दी यह काया शर्म आती है ऐसी जिंदगी परकि कुत्ते भी पाल ही लेते है पेट अपनाऔर हमने दुनिया को बेहतर बनाने के लिएऐसा कुछ किया भी नहीं कभी कभी सोचता हूँकितना अच्छा होता अगर दुनियादारी न सीखी होतीअनाड़ी रहताऔर बीत जाता यह जीवन Photo Credit: Satyam Vr Do you like the article? Or have an interesting story to share? Please write to us at [email protected], or connect with us on Facebook, Instagram and Twitter and subscribe us on Youtube. Quote of the day: “You only live once, but if you do it right, once is enough.” ― Mae West Also Watch: https://www.youtube.com/watch?v=0HDEeq2s7vg Share Tweet Share Pin Comments comments