कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने न सिर्फ बिहार के स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ी चुनौती दी है अपितु लोगों को इंसानी जरूरतों के लिए भी त्राहि-त्राहि करने पर विवश कर दिया है। कोरोना के इस भयानक रूप ने जहां लोगों को खौफ में रहना सिखाया है वहीं कुछ हिम्मती लोग भी हैं जो इस महामारी को एक जंग समझते हैं~ जिनका मानना है कि कोरोना के इस जंग को लड़ने और जीतने के लिए हमें किसी हथियार की नहीं बल्कि इंसानियत की जरूरत है।
विपदा इतनी बड़ी है कि लोगों की सोचने समझने की शक्ति अब खत्म सी हो गई है |आए दिन मरने वालों की खबर सुनकर लोग इतने भयभीत हो गए हैं कि उन्होंने सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचना शुरू कर दिया है| भविष्य की भयानक कल्पना से डरकर लोगों ने खुद को स्वार्थी बनाना ज्यादा आवश्यक समझ लिया है जिसके तहत ऑक्सीजन सिलेंडर ,दवाइयों एवं खाद्य सामग्रियों को जरूरत से ज्यादा जमा करके जरूरतमंद लोगों को अत्यंत कठिन परिस्थिति में डाल दिया है | जहां इस कोरोना काल ने लोगों को खुदगर्ज एवं स्वार्थी बना दिया है वही इंसानियत की मिसाल बन कर निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करने वालों की भी कमी नहीं है|

पटना के पटेल नगर स्थित VFC रेस्टोरेंट के दिलीप सिंह (पटेल नगर ,पटना), विशाल सिंह (राजीव नगर ,पटना) एवं अनमोल सिंह (दीघा, पटना ) ने अपने साथियों के साथ मिलकर कोरोना संक्रमितो की मदद करने के लिए एक मुहिम चलाई है| रेस्टोरेंट् की इस मुहिम का मकसद है उन लोगों तक खाना पहुंचाना जो किसी भी कारणवश खाना नहीं बना सकते जैसे कि कई ऐसे कोरोना संक्रमित हैं जिनके परिवार के सभी सदस्य कोरोना पॉजिटिव हैं और खाना नहीं बना सकते, कुछ ऐसे भी कोरोना संक्रमित हैं जो पटना के हॉस्पिटल में एडमिट है तथा उनका परिवार पटना या बिहार में नहीं है, कुछ ऐसे भी हैं जो किसी और शहर से आकर यहां एडमिट हुए हैं और खाना बनाने में अक्षम है।
ऐसे ही जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए यह सुविधा शुरू की गई है | विशाल सिंह के अनुसार कोई भी कोरोना संक्रमित उनके दिए गए नंबर ( 8882221616) पर कॉल या मैसेज करता है तो रेस्टोरेंट्स के द्वारा उनसे संक्रमितों का नाम ,उनका पता या हॉस्पिटल का नाम/पता तथा कांटेक्ट नंबर नोट कर लिया जाता है| इन सभी जानकारियों को इकट्ठा कर हर दिन एक डेटाबेस तैयार किया जाता है जिसकी मदद से लोगों तक निशुल्क भोजन पहुंचाया जाता है|
विशाल सिंह बताते हैं कि उनके रेस्टोरेंट द्वारा लोगों की इच्छा अनुसार वेज तथा नॉनवेज दोनों तरह का भोजन लोगों तक पहुंचाया जा रहा है वो भी बिना किसी शुल्क के| रेस्टोरेंट में बात करके पता चलता है की हर दिन मरीजों की संख्या में फेरबदल होता है किसी दिन 150,किसी दिन 181 तो किसी दिन 300 लोगों तक खाना पहुंचाया गया है| पूछने पर पता चला है कि सगुना मोड़ से लेकर पाटलीपुत्र क्षेत्र में कोई भी कोरोना संक्रमित इस सुविधा लाभ ले सकते हैं।
विशाल सिंह बताते हैं कि अभी तक लगभग 1500 थालियां भिजवाई जा चुकी हैं|

लोगों तक फ्री में खाना पहुंचाने की इस मुहिम को केवल 8 दिन ही हुए हैं परंतु विशाल सिंह बताते हैं कि कोरोना के पहले एवं दूसरे लहर में भी वे अपने साथियों के साथ मिलकर लोगों तक दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर एवं वैक्सीन पहुंचाने का कार्य करते रहे हैं | कहते है कि पेट में यदि भोजन हो तो आधी बीमारी वैसे ही ठीक हो जाती है ,कोरोना से लड़ने के लिए ऑक्सीजन और दवाइयां जितनी आवश्यक है उतना ही जरूरी है शुद्ध एवं स्वास्थ्य वर्धक भोजन| खाना सिर्फ जिंदा रहने के लिए नहीं बल्कि इंसान को रोगों से लड़ने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार करता है|
डॉक्टरों का मानना है कि खाली पेट संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है तथा दवाइयों को अपना असर दिखाने के लिए भी शरीर में भोजन की आवश्यकता होती है |आम दिनों में इस रेस्टोरेंट्स के स्वादिष्ट खाने का मजा लेने के लिए आपकी जेब से अच्छे खासे रुपए खर्च होंगे परंतु कोरोना के इस कठिन दौर में लोगों तक शुद्ध एवं निशुल्क भोजन पहुंचाया जा रहा है।
खाना बनाते वक्त सावधानी एवं स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है| सैनिटाइज कंडीशन में खाना तैयार किया जाता है, तैयार भोजन को सैनिटाइज कंडीशन में प्लास्टिक के डिब्बों में पैक करने के बाद उसे अच्छे से सील कर दिया जाता है ।

जो भी लोग खाना बनाने से लेकर उसे पैक करने तथा बांटने का कार्य करते हैं वह हाइजीन का पूरा ख्याल रखते हैं, सैनिटाइजर ,ग्लव्स, मास्क तथा कैप का उचित प्रयोग करते हैं ताकि उनकी तरफ से कोरोना के संक्रमण का कोई खतरा न रहे| आर्थिक मंदी के इस दौर में जब लोग लूट खसोट की नीति अपना रहे हैं जहां व्यापारियों ने अपनी सेवाओं एवं वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं ऐसे समय में अपने रेस्टोरेंट की मंदा हालत को नजरअंदाज कर दिलीप सिंह विशाल सिंह और अनमोल सिंह ने समाज के सामने इंसानियत का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है |
इसी तरह यदि हम सब इंसानियत के धर्म को अपना कर निस्वार्थ भाव से एक दूसरे की मदद करें तो निश्चित ही यह समय भी गुजर जाएगा, वक्त ही तो है ; बदल जाएगा|