कोइला के बाढ़ भइल, सोना दहाता | एक कविता बिहार से

हीरा प्रसाद ठाकुर का जन्म बिहार के रोहतास जिले के नावाडीह ग्राम में 5 जनवरी 1948 को स्वतंत्र भारत में हुआ| राष्ट्रपति द्वारा ‘Literary Figure’, राज्य सरकार द्वारा ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’ के साथ-साथ इन्हें कई साहित्यिक सम्मान मिल चुके हैं| किताबों की संख्या को देखते हुए लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम भी शामिल हो चूका है| मुख्यतः भोजपुरी में लिखने वाले हीरा ठाकुर ने अपनी कविताओं की छाप कई बच्चों से बुजुर्गों, यानि हर पाठक वर्ग पर छोड़ी|
पटनाबीट्स पर ‘एक कविता बिहार से’ में आज हीरा प्रसाद ठाकुर की एक कविता- सजग रहीहऽ| यह कविता देश की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करती है और देशवासियों को सजग रहने का सन्देश देती है|

सजग रहीहऽ

सजग रहीहऽ हो, सजग रहीहऽ हो
सजग रहीहऽ, देसवा बन्ह्की रखाता|

स्वारथ के बाती से दीपक बराता
कइसे अंजोर मोर अतने जोड़ाता|
सजग रहीहऽ, देसवा बन्ह्की रखाता|

केकर बा गलती ई साफे जनाता
कवन बा दवाई, ना ओकरा दिआता|
सजग रहीहऽ, देसवा बन्ह्की रखाता

देसवा आजाद कइसे ई ना गुनाता
केतना सेंदूर गइल, ई ना बुझाता|
सजग रहीहऽ, देसवा बन्ह्की रखाता|

कोइला के बाढ़ भइल, सोना दहाता
कुछ लोग के चलते ही हीरा भठाता|
सजग रहीहऽ, देसवा बन्ह्की रखाता|