HomeBiharपहचान | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से “एक कविता बिहार से” में आज आप पढ़ेंगे नए युग के कलमकार को| युवा कवयित्री “अनुप्रिया” जी, सुपौल, बिहार से संबंध रखती हैं| आकाशवाणी पर कविता-पाठ करने के साथ-साथ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं| 1982 में जन्मी इस कवयित्री की लेखनी को समझने में इनकी लिखी “सूरज” शीर्षक की ये छोटी-सी कविता अहम् किरदार अदा करती हैं- “रात का स्याह और गहरा रंगअब बदल रहा है सुना है उसकी कोख में सूरज पल रहा है|” “पहचान” शीर्षक के इस कविता के माध्यम से वो सबकुछ कह गयी हैं जो एक स्वाभिमानी नायिका, इस दुनिया या अपने प्रेमी को कह सकती है; अछूते आप भी नहीं इसके अर्थ से| Share Pin पहचान जब होती हूँ पंख, उड़ जाते हो थामकर मुझे नीले विस्तार में| जब होती हूँ ख्वाब, भर लेते हो अपनी आँखों में| जब होती हूँ बूंद, सागर बन समेट लेते हो अपने आगोश में| जब होती हूँ सुबह, भर देते हो हुलसते फूल मेरी हथेलियों में| पर, जब होती हूँ मैं अपनी पहचान, तोड़ लेते हो मुझसे पहचान के सारे नाते …| Share Tweet Share Pin Comments comments