HomeBiharमुझे मेरी यादों ने सींचा है | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से राजू महतो जी दिल्ली में एक मोशन ग्राफ़िक डिज़ाइनर हैं| बिहार के नवादा में घर है और घर से दूर रहते हुए अक्सर घर और आस-पास के माहौल को याद करते हैं| छोटी-छोटी बातें जब दिल को छूने लगती हैं तो इंसान कलमकार हो ही जाता है| बस इसी वजह ने राजू जी के हाथ में भी कलम दिया और भावनाओं को पन्ने पर उतारने को मजबूर कर दिया| पटनाबीट्स के ‘एक कविता बिहार से’ में आज पढ़ते हैं युवा कवि राजू महतो की कविता- मुझे मेरी यादों ने सींचा है| मुझे मेरी यादों ने सींचा है वो पुराने पीपल के पेड़, वो आम का बगीचा, वो खेत की गीली मिटी, जिसे अभी – अभी किसानों ने है सींचा, मुझे मेरी यादों ने मेरे बचपन में खींचा| मुझे मेरा गांव अभी भी याद आता है, वो पूरब में हरे – भरे खेत, दक्षिण में शखरी नदी का निर्मल – निश्छल पानी , उतर में खड़ीं पहाड़ों की कतारें, सुबह के कोहरे में लिपटी खुद और खुदा की रब्बानी| इनमें ही छिपी है, मेरे बचपन की कहानी, इसीलिए तो मुझे मेरी यादों ने मेरे बचपन में खींचा| मुझे मेरा गांव अभी भी याद आता है, वो खजूर और ताड़ की दरखतें, जहाँ ठहर जाती थीं समय की भी सुईयां, वक्त की मजबूरियां| कहाँ फँस गया मैं चूहा – दौड़ के जंजाल में, यहाँ हर कोई लगता है गैर, नहीं किसी से दोस्ती, फिर भी सभी से बैर| इसीलिए तो मुझे मेरी यादों ने मेरे बचपन में खींचा| मुझे मेरा गांव अभी भी याद आता है||