कहते हैं, “दिल से जो बात निकली ग़ज़ल हो गयी”। सही मायने में ये वो कलमकार थे जिन्होंने दिल की बात कही और कुछ ऐसे कही कि हर पढ़ने वाले के दिल तक पहुँचे।
कलीम आजिज़ उर्फ़ कलीम अहमद का जन्म 11 अक्टूबर 1924 को तेलहाड़ा, पटना में हुआ। पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी हुई और वहीं पटना महाविद्यालय में लेक्चरर हुए।
मौलाना मजहरुल हक़ पुरस्कार, बिहार सरकार; बिहार उर्दू अकादमी पुरस्कार सहित भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री से अलंकृत कलीम साहब की लिखी हुई कई पुस्तकें प्रकाशित हुईं। 15 फरवरी 2015 को अपनी अमर ग़ज़लें हमारे सुपुर्द कर कलीम साहब दुनिया को अलविदा कह गए।
पेश है पटनाबीट्स की पेशकश ‘एक कविता बिहार से‘ में आज पद्मश्री कलीम अहमद जी की ये दो ग़ज़लें।