Homeएक कविता बिहार सेझारखण्ड की एक लड़की | एक कविता बिहार से Neha Nupur एक कविता बिहार से Share Pin इन्हें दूरदर्शन पर एंकरिंग करते हुए देखा करते हैं| 13 वर्षों तक लगातार दिल्ली से गणतंत्र दिवस परेड का आँखों देखा हाल सुनाने का गौरव हासिल कर चुकी हैं| ये लेखिका हैं और कवयित्री भी| कविता-संग्रह और कहानी संग्रह के रूप में 7 किताबें आ चुकी हैं| इनकी कहानियाँ आकाशवाणी पर भी एक्ट की गईं| इनके रचनाकर्म पर एम.फिल. और पी.एच.डी. के लिए शोध कार्य संपन्न हुए हैं| कई पुरस्कारों से अलंकृत, साहित्य की गहराइयों पर पकड़ रखने वाली, बहुआयामी प्रतिभा की धनी ये शख्सियत हमारे लिए कवयित्री की भूमिका में सामने आयी हैं| कुल मिलाकर इनके परिचय में जितनी बातें बयाँ की गई हैं, उससे कहीं ज्यादा के काबिल हैं ये और आजकल अपनी नए प्रकाशित उपन्यास ‘जी-मेल एक्सप्रेस’ को लेकर चर्चा में हैं| हम बात कर रहे हैं भागलपुर में जन्मीं अलका सिन्हा जी की| पटनाबीट्स के खास कार्यक्रम एक कविता बिहार से लेकर आया है वो कविता, जिसे कवयित्री के अनुसार, आमजन तक पहुँचाना बेहद जरूरी है| कविता है ये आदिवासियों की, लड़कियों की, और झारखण्ड की| विषयवस्तु से थोड़ा आगे बढ़ के देखें तो ये कविता हमारे-आपके घरों से निकलती, आस-पास मंडराती हुई प्रतीत होगी| तो आइये आज ‘एक कविता बिहार से’ में पढ़ते हैं- ‘झारखण्ड की एक लड़की’| झारखण्ड की एक लड़की जंगल-झाड़ कूदती, फलांगती लकड़ी का गट्ठर पीठ पर बांधतीस्कूल अहाते के बाहरथककर बैठी है झारखण्ड की एक लड़की दो एकम दो, दो दूनी चार का गीत गा रही हैपहाड़े के गीत पर पींग बढ़ा रही हैधूसरित धरती पर उंगरी उकेर रही हैअ से अनार, आ से आम टेर रही है स्कूल अहाते के बाहरथककर बैठी झारखण्ड की लड़की| उसे खबर नहींकि एजेंट ने भर दी है उसके पिता की जेबअब वह उसे नौकरी कराने दिल्ली ले जाएगाजहाँ औरों की खातिर झाड़ू बुहारते, घर संवारते बिखर जाएँगे उसके छोटे-छोटे सपने जरा गौर से देखोऔर पहचानो इसे यह भी तो मलाला ही हैवही मलालाजिस पर हुए तालिबानी हमले के विरोध में समूची दुनिया एकजुट हो गई थीवही मलाला जिसकी डायरी इंटरनेट आदि के जरियेदुनिया भर में पढ़ी गई थीवही मलालाजिसके भाषण पर यूएनओ की सभा मेंदेर तक तालियाँ गूंजती रही थीं इस मलाला पर भी हो रहे हैं वैसे ही हमलेजो उसके सोचने-समझने की ताकतऔर कुछ कर दिखाने की इच्छा कोनस्तेनाबूत कर रहे हैं धूसरित धरती पर उंगरी उकेरती इस मलाला की डायरी को भी जरा ध्यान से पढ़ोजिसमें लिखी इबारत आम-अनार के छिलके-बोकले की तरह कूड़े के साथ बुहार दी जाएगी काश! कोई सहेज ले इसकी डायरी के ये पन्नेइसके अरमां, इसके सपनेकि यह मलाला भी पढ़ सकेयूएनओ में अपनी बात कह सकेइसकी भी बोली से गूँज उठे देश और दुनियाक्या फर्क पड़ता है इसका नाम मलाला है कि मुनिया| Share Tweet Share Pin Comments comments