हर बुराई का नाश होना सुनिश्चित है ताकि अच्छाई की जय-जयकार हो सके| इसी धारणा को सम्पूर्ण करती है भगवान् राम की रावण पर मिली जीत| इस जीत की ख़ुशी में दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है| रावण का दहन किया जाता है तथा प्रभु राम की स्तुति की जाती है| पटनाबीट्स के ‘एक कविता बिहार से’ की यह कड़ी भी प्रभु राम को समर्पित है| कवि हैं मैथिल कोकिल के नाम से सुविख्यात कवि विद्यापति| हालाँकि स्तुति तो एक भाव है जिसकी कोई भाषा नहीं होती, परन्तु कवि विद्यापति की यह स्तुति मैथिलि में है| कवि विद्यापति के भक्तिरस के कवि माने गये हैं, जिनका जन्म 1380 ई० में हुआ| इनका जन्मस्थल बिहार के मधुबनी जिले का बिसपी ग्राम है| ‘एक कविता बिहार से’ में आज पढ़ते हैं सिया-राम विवाह के प्रसंग की यह कविता, कवि विद्यापति के शब्दों में|
नाम पुछई छै राम कहै छै अबध के राजकुमार छै | एक कविता बिहार से
11 Oct, 2016
तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छै,
श्याम रंग जे सबसँ सन्नर से सबहक सरदार छै,
धनुष प्रतीज्ञा कैल जनकजी के पूरा केनीहार छै,
कियो बीर नहि बुझि पड़ै जछि तँ जनक के धिक्कार छै,
बुझबा में नहिं अयलन्हि जनक कें एहि ठाम शेषावगर छै,
उठि क विश्वामित्र तखन सँ रा के करैत ठाढ़ छै,
धन्य राम छथि धन्य लखनजी जानैत भरि संसार छै,
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Neha Nupur
Neha Nupur has been interested in Music and Poetries since her childhood. She completed her initial education from Tagore Academy and started writing poems. She loves to read poetries and listen classical music.