HomeBiharभारत माता | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से 15 अगस्त, भारत की आजादी का दिन है| क्यों न ये उत्सव पूरे महीने मनाया जाये| इस महीने बिहार के कविओं द्वारा रचित देशप्रेम से ओत-प्रोत कवितायें भी आती रहेंगी आपके सामने, वो भी बिहार के अलग-अलग क्षेत्रिय भाषाओं से चुन कर| जनकवि बाबा नागार्जुन विभिन्न भाषाओं में लिखते थे, जैसे- बांग्ला, संस्कृत, मैथिलि और हिंदी| 30 जून 1911 ई० को बिहार के दरभंगा जिले के तरौनी गाँव में जन्में इस कवि का मूल नाम “वैद्यनाथ मिश्र” था| लेकिन मैथिलि में इनकी कवितायें ‘यात्री’ के नाम से आती थीं| बाद में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद ये ‘नागार्जुन’ के नाम से जाने गये| इनकी एक हिंदी कविता ‘आओ रानी’ हम प्रस्तुत कर चुके हैं| आज पटनाबीट्स के ‘एक कविता बिहार से’ की कड़ी जुड़ रही है नागार्जुन (यात्री) जी की मैथिलि कविता ‘भारत माता’ से| भारत माता कियै टूटल जननि! धैर्यक सेतु? कानि रहलहुँ अछि, अरे! की हेतु? अहा! जागल आइ कटु-स्मृति कोन? जाहिसँ भै गेल व्याकुल मोन? विश्वभरिमे विदित नाम अहाँक! कान्तियो नयनाभिराम अहाँक! केहन उज्ज्वल मा! अहाँक अतीत भेलहुँ अछि पुनि कोन भयसँ भीत? जलधि-वसने! हिम-किरीटिनि देवि! तव चरण-पंकज युगलकेँ सेवि, लोक कहबै अछि अरे! तिहुँ लोक! अहीं केँ चिन्ता, अहीकेँ शोक!! कहू जननी कियै नोर बहैछ छाड़ि रहलहुँ अछि कियै निःश्वास? कोन आकस्मिक विषादक हेतु भै रहल अछि मूँह एहन उदास?