HomeBiharउड़ने दो उसे पंख फैला के | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से अभिषेक पाण्डेय, पेशे से इंजीनियर हैं| पटना के मूल निवासी हैं और फ़िलहाल नौकरी के सिलसिले में कलकत्ता में हैं| इनका युवा मन अक्सर तन्हाई में अपने आप से बातें करता है और जब बातें पन्ने पर उतरने को आतुर हो जाती हैं तो बस बन जाती है एक कविता| पटनाबीट्स पर पाठकों की तरफ से आई है आज की ‘एक कविता बिहार से’, शीर्षक है- ‘बावला मन’| बावला मन खुले आसमान में चाहतों की उड़ान भरता बावला मन, उड़ने दो उसे पंख फैला के, दब न जाएँ आशायें अंदर ही अंदर , उड़ने दो उसे पंख फैला के | जलने दो उसे सूरज की तपिश में , चाँद की शीतलता भी उसे मिले, लड़ने दो उसे हवा के थपेड़ों से, बारिश की फुहार भी उसे मिले| बंदिशों को तोड़े हज़ारों सपने लिए, लम्हों से वो एक फितूर जगाये बैठा है| ज़िद है उसकी उस हद तक जाने की, उसने गिर के उठना ही अपना वजूद माना है| जीने दो उसे उसी उड़ान के साथ, वो बावला है, उसे उड़ना है बस उड़ना है||