HomeBiharआवाज उठानी होगी | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से अमित शाण्डिल्य जी नये युग के कवि हैं| समस्तीपुर के तिस्वारा ग्रामनिवासी अमित जी 25 मई 1991 को जन्मे| फ़िलहाल पटना में नौकरी करते हैं तथा दिन भर का हिसाब हर रात पन्ने पर उकेर देते हैं| इस युवा कवि ने देश के प्रति अपनी भावनाएँ भी कविता के माध्यम से व्यक्त करने की कोशिश की है| पटनाबीट्स के खास कार्यक्रम ‘एक कविता बिहार से’ में आज नये युग के युवक की कविता, जो देश के तात्कालिक हालात से परिचित है और समझता है कि देश में आजादी के मायने क्या होने थे, क्या हो गये| ज्ञात हो, पटनाबीट्स मना रहा है- ‘अगस्त का महीना आजादी का महीना’| बहिष्कार करो भ्रष्टाचार का बहिष्कार करो भ्रष्टाचार का, अब तुम्हें ही आवाज उठानी होगी| बहुत सहा, अब नहीं सहेंगे, जागृति दीप जलानी होगी|| लूट रहे तुम उस भारत को, जो तुम्हारी ही माता है, किसलिए तुम यह जघन्य पाप कर रहे, सब खाली हाथ ही जाता है| बदनामी की चादर ओढ़े, किसको मुँह दिखाओगे, चंद रुपयों की खातिर, भारत माँ को शरमाओगे| किस-किस को कानून दंड देगा, हर घर से पहल दिखानी होगी| बहिष्कार करो भ्रष्टाचार का अब तुम्हें ही आवाज उठानी होगी|| भ्रष्टजनों का साथी भी, भ्रष्टाचारी कहलाता है, मानवता का गला घोंट, वह भी पापी बन जाता है| जिसको तुम लूट रहे, आखिर वो तेरा अपना है, हल चलाकर बेटे को, पढ़ाने वालों का भी कुछ सपना है| जो शांति या क्रांति से न माने उसे कलम की ताकत बतानी होगी| बहिष्कार करो भ्रष्टाचार का, अब तुम्हें ही आवाज उठानी होगी||