HomeBiharऐ वतन याद है किसने तुझे आजाद किया | एक कविता बिहार से Neha Nupur Bihar, एक कविता बिहार से गया में जन्मे आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी का कार्यस्थल मुजफ्फरपुर बना। यहीं सरकारी संस्कृत कॉलेज में प्राध्यापक के पद पर इनकी स्थायी नियुक्ति थी। संस्कृत से साहित्य की दुनिया में कदम रख इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और बांग्ला का भी प्रभूत ज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने दो बार पद्म पुरस्कार लेने से इन्कार किया था। इनकी एक कविता ‘तुम कहाँ हो‘ हमारे संकलन का हिस्सा बन चुकी है। 5 फरवरी 1916 से 7 अप्रैल 2011 तक के जीवनकाल में शास्त्री जी ने गुलाम और आजाद दोनों भारत करीब से देखे। उनका अनुभव निश्चित ही भारत की बदलती तस्वीर को समेटे हुए है। पटनाबीट्स पर आज की ‘एक कविता बिहार से‘ के लिए जो कविता हमारे समक्ष है यह उसी अनुभव का परिचायक है। यह इशारा करती है कि क्या आजादी के नायकों ने देश के जिस स्वर्णिम भविष्य की कल्पना की थी, वह साकार होते दिख रहा है? क्या आजादी के बाद राष्ट्र उसी कदम चल रहा है, जिसकी राह बनाने में जवान शहीद हुए? आइये पढ़ते हैं, ‘एक कविता बिहार से‘ में आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी की ग़ज़ल -‘ऐ वतन याद है किसने तुझे आजाद किया‘। ऐ वतन याद है किसने तुझे आजाद किया ऐ वतन याद है किसने तुझे आज़ाद किया ? कैसे आबाद किया ? किस तरह बर्बाद किया ? कौन फ़रियाद सुनेगा, फलक नहीं अपना, किस निजामत ने तुझे शाद या नौशाद किया ? तेरे दम से थी कायनात आशियाना एक, सब परिंदे थे तेरे, किसने नामुराद किया ? तू था ख़ुशख़ल्क, बुज़ुर्गी न ख़ुश्क थी तेरी, सदाबहार, किस औलाद ने अजदाद किया ? नातवानी न थी फ़ौलाद की शहादत थी,किस फितूरी ने फ़रेबों को इस्तेदाद किया ? ग़ालिबन था गुनाहगार वक़्त भी तारीक़, जिसने ज़न्नत को ज़माने की जायदाद किया ? माफ़ कर देना ख़ता, ताकि सर उठा के चलूँ, काहिली ने मेरी शमशेर को शमशाद किया ? Share Tweet Share Pin Comments comments