जरूर पढ़िए भोजपुरी की एक सौ एक लोकप्रिय कहावतें

भोजपुरी कहावतें
कहावतें, लोकोक्तियाँ, मुहावरे; ऐसी बातें जो वर्षों के अनुभव के आधार पर हमारे बुजुर्गों ने सीख के तौर पर कहनी शुरू कीं| मौसम, जानवर, प्रकृति या इंसानी प्रवृति के गहन अध्ययन से निकली ये बातें निश्चित तौर पर सच के करीब हैं और इनका इस्तेमाल उदहारण की तरह किया जाता रहा है|
हिंदी की तरह ही भोजपुरी की भी समृद्ध संस्कृति रही है और यहाँ की लोकोक्तियाँ भी बुजुर्गों के अनुभवों का बखान करतीं हैं| हाल ही में भोजपुर में चल रहे वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय से भोजपुरी विभाग को बंद करने की चर्चा गरम रही| अन्य संस्थानों की तरह विश्वविद्यालय ने भी भोजपुरी को उचित स्थान नहीं दिया, जिसके परिणामस्वरुप ये नौबत आई| अब ये तो वही बात हो गयी कि “खेत खाय गदहा आ मार खाय जोलहा”, और अपने घर में भोजपुरी का उपेक्षित होना साबित करता है कि “घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध”| दादी-नानी से बात करें तो कुछ ऐसी ही कहावतें सामने आती रहती हैं|
आज पटनाबीट्स के माध्यम से कुछ ऐसी ही कहावतों की ओर रुख करते हैं, जो भूले तो नहीं गये लेकिन कहीं न कहीं भाषा और आधुनिकता की मार झेलते हुए पिछड़ते जा रहे हैं|
भोजपुरी की पहचान, ये भोजपुरी कहावतें, अपने हिन्दी अर्थों के साथ|

भोजपुरी की 101 लोकप्रिय कहावतें

1. हंसले घर बसेला– उन्नति करना
2. हेलल भंईसिया पानी में– सब खत्म हो जाना
3. करिया अच्छर से भेंट ना, पेंगले पढ़ऽ ताड़ें– असमर्थ होकर भी बड़ी-बड़ी बातें करना
4. नव के लकड़ी, नब्बे खरच– बेवकूफी में खर्च करना
5. हाथी चले बाजार, कुकुर भोंके हजार– गंभीरता से काम करना
6. खेत खाय गदहा, मारल जाय जोलहा– किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलना
7. नन्ही चुकी गाजी मियाँ, नव हाथ के पोंछ- सम्भलने से परे
8. क, ख, ग, घ के लूर ना, दे माई पोथी– औकात से अधिक माँगना
9. जिनगी भर गुलामी, बढ़-बढ़ के बात– छोटी मुँह बड़ी बात
10. ना नईहरे सुख, ना ससुरे सुख– अभागा
11. बिनु घरनी, घर भूत के डेरा– नारी बिना घर सूना
12. सुपवा हंसे चलनिया के कि तोरा में सतहत्तर छेद– खुद दोषी होकर किसी को कोसना
13. सब धन बाईसे पसेरी– सब एक समान
14. रामजी के चिरईं, रामजी के खेत, खाले चिरईं भर-भर पेट– अपने धन पर ऐश
15. अबरा के मउगी, भर घर के भउजी– कमजोर का मजाक बनाना
16. केहू हीरा चोर, केहू खीरा चोर– चोर-चोर मौसेरे भाई
17. हवा के आंगा, बेना के बतास– सूरज को दीपक दिखाना
18. फुटली आँखों ना सोहाला– बिल्कुल नापसंद
19. चिरईं के जान जाए, लईका के खेलवना– किसी का कष्ट देख खुश होना
20. घाट-घाट का पानी पी के होखल बड़का संत– सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को
21. नवकि में नव के पुरनकी में ठाढ़े– नये-नये को इज्जत देना
22. लईकन के संग बाजे मृदंग, बुढ़वन के संग खर्ची के दंग– जब जैसा तब तैसा
23. इहे छउड़ी इहे गाँव, पूछे छउड़ी कवन गाँव– जानबूझ के अनजान बनना
24. घीव के लड्डू, टेढो भला– मांगी हुई चीज़ हर हाल में अच्छी
25. उधो के लेना, ना माधो के देना– अलग-अलग रहना
26. काठ के हड़िया चढ़े न दूजो बार– बिना अस्तित्व का
27. गुरु गुड़ रह गइलन, चेला चीनी हो गइले– गुरु से आगे निकल जाना
28. घर के भेदिया लंका ढाहे– चुगली करने वाला
29. मुअल घोड़ा के घास खाइल– मिथ्या आरोप
30. चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाए– कंजूस
31. भाग वाला के भूत हर जोतेला– भाग्यवान का काम बन जाना
32. जइसन बोअबऽ, ओइसने कटबऽ– जैसी करनी वैसी भरनी
33. जेकर बनरी उहे नचावे, दोसर नचावे त काटे धावे– जिसकी चीज़ उसी की अक्ल
34. दुधारू गाय के लातो सहल जाला– लाभ मिले तो मार भी सहनी पड़ती है
35. बाण-बाण गइल त नौ हाथ के पगहा ले गइल– खुद तो डूबे दूसरे को भी ले डूबे
36. नया-नया दुलहिन के नया-नया चाल– नई प्रथा शुरू करना
37. जे न देखल कनेया पुतरी उ देखल साली– उन्नति कर जाना
38. जेतना के बबुआ ना ओतना के झुनझुना– अधिक खर्च करना
39. बाग़ के बाग़ चउरिये बा– बेवकूफ जनता
40. ऊपर से तऽ दिल मिला, भीतर फांके तीर– धोखेबाज
41. नव नगद ना तेरह उधार– लेन-देन बराबर रखना
42. पइसा ना कउड़ी बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी– बिना साधन के भविष्य की कल्पना
43. माई चले गली-गली, बेटा बने बजरंगबली– खुद की तारीफ़ करना
44. रूप न रंग, मुँह देखाइये मांगताड़े– ठगी करना
45. खाए के ठेकान ना, नहाये के तड़के– परपंच रचना
46. रहे के ठेकान ना पंड़ाइन मांगस डेरा– असमर्थता
47. कफन में जेब ना, दफन में भेव– ईमानदार
48. लगन चरचराई अपने हो जाई– समय पर काम बन जाना
49. भूख त छूछ का, नींद त खरहर का– आवश्यकता प्रधान
50. गज भर के गाजी मियाँ नव हाथ के पोंछ– आडम्बर
51. छाती पर मुंग दरऽ– बिना मतलब का कष्ट देना
52. भेड़ियाधसान- घमासान, भेड़-चाल
53. हंस के मंत्री कौआ– बेमेल
54. भर घरे देवर, भसुरे से मजाक– उल्टा काम करना
55. हम चराईं दिल्ली, हमरा के चरावे घर के बिल्ली– घर की मुर्गी दाल बराबर
56. अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे जागे– अग्र सोची सदा सुखी
57. हंसुआ के बिआह, खुरपी के गीत– बेमतलब की बात
58. ओस के चटला से पिआस ना मिटे– ऊँट के मुंह में जीरा
59. आंगा नाथ ना पाछा पगहा– बिना रोक-टोक के
60. ओखर में हाथ, मुसर के देनी दोष– नाच न जाने आँगन टेढ़ा
61. काली माई करिया, भवानी माई गोर– अपनी-अपनी किस्मत
62. माड़-भात-चोखा, कबो ना करे धोखा– सादगी का रहन-सहन
63. करम फूटे त फटे बेवाय– अभागा
64. कोइला से हीरा, कीचड़ से फूल– अद्भुत कार्य
65. तेली के जरे मसाल, मसालची के फटे कपार– इर्ष्या करना
66. तीन में ना तेरह में– कहीं का नहीं
67. दउरा में डेग डालल – धीरे-धीरे चलन
68. भर फगुआ बुढ़उ देवर लागेंले– मौसमी अंदाज
69. कंकरी के चोर फाँसी के सजाए– छोटे गुनाह की बड़ी सज़ा
70. कहला से धोबी गदहा पर ना चढ़े– मनमौजी
71. दाल-भात के कवर– बहुत आसन होना
72. होता घीवढारी आ सराध के मंतर– विपरीत काम करना
73. ससुर के परान जाए पतोह करे काजर– निष्ठुर होना
74. बिलइया के नजर मुसवे पर– लक्ष्य पर ध्यान होना
75. लूर-लुपुत बाई मुअले प जाई– आदत से लाचार
76. हड़बड़ी के बिआह, कनपटीये सेनुर– हड़बड़ी का काम गड़बड़ी में
77. बनला के सभे इयार, बिगड़ला के केहू ना– समय का फेर
78. राजा के मोतिये के दुःख बाऽ– सक्षम को क्या दुःख
79. रोवे के रहनी अंखिये खोदा गइल– बहाना मिल जाना
80. बुढ़ सुगा पोस ना मानेला– पुराने को नयी सीख नहीं दी जा सकती
81. कानी बिना रहलो न जाये, कानी के देख के अंखियो पेराए– प्यार में तकरार
82. अक्किल गईल घास चरे- सोच-विचार न कर पाना
83. घर फूटे जवार लूटे– दुसरे का फायदा उठाना
84. ना खेलब ना खेले देब, खेलवे बिगाड़ब– किसी को आगे न बढ़ने देना
85. मंगनी के बैल के दांत ना गिनाये– मुफ्त में मिली वस्तु की तुलना नहीं की जाती
86. ना नौ मन तेल होई ना राधा नचिहें– न साधन उपलब्ध होगा, न कार्य होगा
87. एक मुट्ठी लाई, बरखा ओनिये बिलाई– थोड़ी मात्रा में
88. हथिया-हथिया कइलन गदहो ना ले अइलन– नाम बड़े दर्शन छोटे
89. चउबे गइलन छब्बे बने दूबे बन के अइलन– फायदे के लालच में नुकसान करना
90. राम मिलावे जोड़ी एगो आन्हर एगो कोढ़ी– एक जैसा मेल करना
91. आन्हर कुकुर बतासे भोंके– बिना ज्ञान के बात करना
92. बईठल बनिया का करे, एह कोठी के धान ओह कोठी धरे– बिना मतलब का काम करना
93. घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध– घर की मुर्गी दाल बराबर
94. भूखे भजन ना होइहें गोपाला, लेलीं आपन कंठी-माला– खाली पेट काम नहीं होता
95. ना नीमन गीतिया गाइब, ना मड़वा में जाइब– ना अच्छा काम करेंगे ना पूछ होगी
96. लाद दऽ लदवा दऽ, घरे ले पहुँचवा दऽ– बढ़ता लालच
97. पड़लें राम कुकुर के पाले– कुसंगति में पड़ना
98. अंडा सिखावे बच्चा के, बच्चा करु चेंव-चेंव– अज्ञानी का ज्ञानी को सिखाना
99. लात के देवता बात से ना माने– आदत से लाचार
100. जे ना देखन अठन्नी-चवन्नी उ देखल रूपइया– सौभाग्यशाली
101. भोला गइलें टोला प, खेत भइल बटोहिया, भोला बो के लइका भइल ले गइल सिपहिया– ना घर का ना घाट का

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