
हमारा समाज कितना भी शिक्षित हो जाए लेकिन बेटियों के मामले में अभी उनकी सोच सीमित है। सीमित इसलिए क्योंकि आज भी कई घर ऐसे हैं जो बेटियों को बोझ समझते है। कई परिवार ऐसे है जहां अगर लड़की खुद के सपने पूरा करने के लिए कदम आगे बढ़ाती है तो पुरुष समाज उसे पीछे की ओर खींचते हैं। तरह तरह के ताने देते है। इन सबके बावजूद कई लड़कियां समाज की बातों को अनसुना कर अपने सपने पूरा कर रही है और खुद के साथ साथ राज्य का भी नाम रौशन कर रही है। ऐसे ही पटना बिहार के छोटे से जिले नवादा की रहने वाली खुशबू अपनी मेहनत से हैंडबाल में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है।
खुशबू का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। खुशबू बैडमिंटन खेलना चाहती थी लेकिन गरीबी के कारण उनका यह ख्वाब पूरा न हो सका। खुशबू के पिता पानी का प्लांट चलाते हैं और छोटे-मोटे कारोबार करते हैं। लेकिन खुशबू ने हार नही माना और उन्होंने हैंडबाल खेलना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्हें घर से पूरी तरह से सहयोग नही मिला। दरअसल आज से कुछ वर्ष पहले महिलाओं को खेलने की इजाज़त हमारे समाज ने नही दिया था। घर से बाहर निकलकर नौकरी करना हो या खेलना हो पुरुषों को ही इजाज़त थी। हालांकि उनकी मां ने इनका हर कदम पर साथ दिया और यथासंभव समर्थन भी किया।
आखिरकार समाज की सारी बंदिशों को तोड़कर खुशबू ने 2009 में हैंडबॉल की प्रैक्टिस शुरू की। धीरे-धीरे उनके पिता भी उनका साथ देने लगे। आज से लगभग 13 साल पहले उन्होंने जब प्रैक्टिस शुरू की थी तब कोई लड़की उनकी साथी नही थी। जिस कारण खुशबू को लड़कों के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ती थी। पूरे स्टेडियम में वह इकलौती लड़की थी जो लड़कों के साथ खेला करती। और इसी वजह से आस पड़ोस के लोग उन्हें ताना मारते थे कि वह लड़कों के बीच जाकर खेलती है, छोटे कपड़े पहनती है। इन सारी तानों से परेशान होकर 2011 में खुशबू लखनऊ शिफ्ट हुई। जहां उन्हें खेलने का अच्छा मौका मिला।
वर्ष 2015 में भारतीय टीम में खुशबू का चयन हुआ जिसके बाद वर्ष 2015 से 2016 में एशियाई गेम्स में काफी बेहतर प्रदर्शन किया। खुशबू ने कुल 30 नेशनल और 5 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो गोल्ड और नेशनल स्तर पर 4 गोल्ड मेडल जीता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनके बेहतर प्रदर्शन और पदक जीतने के बाद बिहार सरकार ने “बिहार खेल” सम्मान से नवाजा है। 2018 में नेपाल में साउथ एशियन हैंडबॉल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। 2019 में भी गोल्ड मेडल जीता।
फिलहाल खुशबू BMP-5 के डीजी टीम में स्पोर्ट्स कोटे से बिहार पुलिस की नौकरी कर रही हैं। वह चाहती हैं कि बिहार में भी महिला खिलाड़ियों की हैंडबॉल की टीम बने ताकि उन्हें लड़कों के साथ प्रैक्टिस ना करना पड़े और वह महिला खिलाड़ियों के साथ आसानी से खेल सकें। खुशबू आज भी बीएमपी पटना में वह लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस करती हैं।