मुंगेर में TARINA की पहल पोषण को दे रही है एक नया आयाम

टाटा कॉर्नेल इंस्टीट्यूट का प्रोग्राम TARINA फसल उगाने के पैटर्न को बेहतर बनाने वाली एक अभूतपूर्व परियोजना पर काम कर रहा है जिससे जिले के 40 गांवों के निवासियों को बेहतर पोषण प्राप्त होगा, इस परियोजना का प्रभाव पूरे बिहार पर पड़ेगा।

पटना,  जनवरी 2020: कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने बिहार के मुंगेर जिले के 40 गांवों में सिंचाई तथा फसल उगाने के पैटर्न में विविधता को बढ़ावा देने के लिए नलकूप बनवाए हैं, जिले में इस किस्म का काम पहली बार किया गया है। इन नलकूपों के इस्तेमाल से किसान रबी और ज़ैद दोनों मौसमों में पौष्टिकता से भरपूर ऐसी फसलें उगा सकेंगे जो मुख्य रूप से नहीं उगाई जातीं। इस अभूतपूर्व परियोजना ने न केवल फसल उगाने के पैटर्न में परिवर्तन ला दिया है बल्कि यह भोजन में पौष्टिकता वृद्धि भी कर रही है। अब तक, इन नलकूपों से जिले के 450 से ज्यादा परिवारों को फायदा हो चुका है।

इस अनूठी पहल का श्रेय जाता है टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट ऑफ ऐग्रीकल्चर एंड न्यूट्रीशन (TCI) के कार्यक्रम ‘टेक्निकल असिस्टेंस एंड रिसर्च फॉर इंडियन न्यूट्रीशन एंड ऐग्रीकल्चर’ (TARINA) को। इस कार्य में TARINA का सहयोगी है BAIF डैवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, मुंगेर में इन नलकूपों के निर्माण को अमलीजामा पहनाने में इस फाउंडेशन की प्रमुख भूमिका रही है।

ये सभी नलकूप निजी जमीन पर बनाए गए हैं, 10-12 किसानों का एक समूह ‘वॉटर यूज़र ग्रुप’ (WUG) बनाकर इसके साझे इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल न केवल समुदायों को सशक्त कर रही है बल्कि संसाधनों के साझे स्वामित्व को भी सुनिश्चित कर रही है। 

इस परियोजना के उद्देश्यों को समझाते हुए TCI के संस्थापक निदेशक डॉ प्रभु पिंगाली ने बताया, “TARINA का लक्ष्य है कि निर्धन समुदाय के सबसे गरीब व्यक्ति तक के भोजन में पौष्टिता वृद्धि हो। इसके लिए फसल उगाने के पैटर्न में विविधता लाई जाती है, व्यवहार में बदलावकारी संवाद किया जाता है तथा इससे संबंधित अन्य कार्यक्रम चलाए जाते हैं जिनमें वे हस्तक्षेप भी शामिल हैं जो संदर्भगत अवरोधों को हल करते हैं।“

KisanRail and Temperature Controlled Storages will soon start in Bihar to transport agricultural products

TARINA के सहायक प्रोग्राम अधिकारी श्री नवीन सिरधर ने कहा, “मुंगेर में इन नलकूपों के निर्माण से किसानों को यह सुविधा मिली है कि वे धान की खेती कर सकें, गर्मियों में अतिरिक्त सब्जियां और फल उगा सकें।“

इस परियोजना की वजह से आए नए बदलावों से मुंगेर जिले के लोग प्रसन्न हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए मुंगेर जिले के माताडीह गांव के श्री रामस्वरूप यादव ने बहुत खुशी जाहिर की, उनका कहना था कि इन नलकूपों से जिस प्रकार सिंचाई की समस्या का समाधान हुआ है वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। “इन नलकूपों के चलते रबी के मौसम में फसलों का उत्पादन दोगुना हो गया है। पिछले दो वर्षों से ज़ैद के मौसम में हम अतिरिक्त फसलें उगा पा रहे हैं जैसे हरा चना। ज़ैद की खेती से मेरी बचत और आमदनी में वृद्धि हुई है,” श्री यादव ने कहा।

माताडीह गांव की ही निवासी श्रीमती रूबी देवी ने बताया, “समूह के सदस्य होने की वजह से हमें कम लागत पर खेतीबाड़ी का सामान खरीदने में मदद मिली। अब हमें अलग-अलग सामान खरीदने की जरूरत नहीं है। अब मैं अपने घर की चीज़ों के लिए पैसा बचा पा रही हूं।“

मुंगेर जिले के ही एक गांव रघुनाथपुर की श्रीमती ममता देवी खुश हैं कि अब वह पानी की उपलब्धता की वजह से हरा चना, सब्जियां और मकई उगा पाती हैं। “पहले गर्मियों के मौसम में हमें जमीन को बंजर छोड़ देना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है,” उन्होंने कहा।

TARINA किसानों को पानी साझा करने के नियमों, नलकूपों के निर्माण, मरम्मत व रखरखाव तथा वॉटर यूज़र ग्रुप के वित्तीय प्रबंधन के बारे में जरूरी प्रशिक्षण दे रहा है। सिंचाई में मदद मिलने के कारण अब मुंगेर के किसान एक से ज्यादा फसल उगा पा रहे हैं, फलस्वरूप उनकी उपज और आमदनी लगभग दोगुने हो गए हैं।

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― Albert Einstein 

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