
जरा सोचिये ! आप अपने स्कूल कचरा का थैला लेकर जा रहें है, सुबह-सुबह स्कूल में प्रवेश करने के साथ ही सबसे पहले कचरे को कुड़ेदान में डाल रहें हैं । अजीब है न? शायद बहुत अजीब हैं । लेकिन गया के सेवाबीघा गांव में स्थित पदमपानी स्कूल में ऐसा होता है । वहाँ के स्टूडेंट्स की रोज़ की दिनचर्या में यह काम भी शामिल हैं ।
पदमपानी स्कूल के बच्चे रोज़ अपना स्कूल यूनिफॉर्म पहने, अपने हाथ में कचरा लेकर आते हैं और कुड़ेदान में डालते हैं । देखने में यह काफी अजीब लगता हैं लेकिन इसके बदले उन बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल रही है । इसके साथ ही मुफ्त में किताबें, और भोजन भी दिया जाता हैं । बच्चों द्वारा कचरे लाकर कुड़ेदान में रखने का कारण है, उन्हें स्वच्छता और पर्यावरण को साफ रखने की शिक्षा देना । यह अनोखा पहल किया है मनोरंजन प्रसाद साम्दर्सि ने ।
मनोरंजन इस स्कूल के माध्यम से ना केवल गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहें बल्कि इसके साथ ही उन्हें पर्यावरण को साफ रखने और अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए भी गाइड कर रहें हैं । मनोरंजन ने बताया कि गांव से स्कूल को जोड़ने वाली सड़क बहुत बुरी तरह से दूषित थी । इसके कारण कई सारी खतरनाक बीमारियां पनपने लगी । साथ ही हानिकारक कीड़े फसलों को भी बर्बाद कर देते थे । बारिश के वक़्त हालात और भी बत्तर हो जाते थे । गाँव के लोग और पंचायत ने इसको लेकर कुछ नहीं किया । तब मनोरंजन ने अपने स्कूल के छात्रों को यह काम सौंपा ।
“शुरू-शुरू में छात्रों ने काम करने से साफ इनकार कर दिया था । फिर मैंने उन्हें पर्यावरण को स्वच्छ रखने का महत्व समझाया इसके बाद वह मान गए और बड़ी ही उत्सुकता के साथ इस कार्य में भाग लेने लगे । बच्चों की मेहनत रंग लाई और जल्द ही सड़क साफ-सुथरी दिखने लगी । इसके साथ ही नन्हें हाथों ने पौधा-रोपण भी शुरू कर दिया । अब तक वो दो हज़ार से भी अधिक पौधे लगा चुके हैं ।” मनोरंजन ने प्रसन्नता के साथ कहा ।
बच्चों द्वारा लाए प्लास्टिक को मनोरंजन रिसाइक्लिंग के लिए दे देते हैं । स्कूल में भी छोटे पैमाने पर बच्चे रिसाइक्लिंग करने की कोशिश करते हैं । इसके अलावा मनोरंजन और भी कई समाज-कल्याण कार्य करते हैं । उनके द्वारा खड़ी की गई नई पीढ़ी की सेना बेशक हमारे देश का उज्ज्वल भविष्य है । मनोरंजन का यह प्रयास सराहनीय है ।