
पटना बिहार में आज कैफे संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। पटना में कई कैफे के नाम हर महीने जुड़ रहा है। इस मशीनरी के आधुनिक युग में “कैफे” शब्द के बारे में सोचने समय खो जाना आसान है।
भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोग कॉफी स्नैक्स के बहाने ही सही एक साथ घंटों समय व्यतीत करते है और कैफे मिलने का बेहतरीन विकल्प साबित हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कॉफी हाउस का रूप और उद्देश्य बदल गया है, वे आधुनिक युग में प्रधान बने हुए हैं। पहले कैफे में लोग शांत वातावरण में कुछ पल कॉफी और खुद के साथ गुजारने के लिए जाते थे। लेकिन अब कैफे राजनीतिक रूप से रुचि रखने वालों के लिए एक पसंदीदा संगम बन रहा है। शासन के बढ़े हुए मूल्य निर्धारण या कानूनों से परेशान नागरिक अपने साथ कैफे जाने वालों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करने में एकांत पाते हैं।
पटना बिहार के लगभग अधिकतर कैफे छात्रों के अनुकूल वातावरण सृजन कर रहे है। जहां छात्र अपने पॉकेट मनी के हिसाब से आनंद ले सकते है। कैफे के एक हिस्से में खाने के साथ साथ म्यूजिक, कविता, शायरी, अंताक्षरी, देश में हो रहे घटनाओं पर आप खुल कर बात करते हैं। इसके आलावा आप खुद की टैलेंट को भी कैफे संस्कृति के माध्यम से निखार रहे हैं। हर छोटे बड़े त्यौहार, जागरूकता अभियान के लिए कैफे संस्कृति को अपनाया जा रहा है। जहां कई संख्या में लोग अपनी दिलचस्पी दिखाते है। पटना बिहार कैफे संस्कृति के माध्यम से केवल कैफे को एक अलग पहचान नही दे रहा है बल्कि बिहारियों के व्यंजनों में से मिट चुकी कुछ क्षेत्रीय व्यंजन को भी प्रमोट कर रहा है।
कैफे संस्कृति को समझने से पहले यह जानना जरूरी है की कैफे संस्कृति का उदय कॉफी संस्कृति से हुआ है। पटना में कैफे संस्कृति हर दिन फल फूल रहा है। आज यहां कई कैफे का नाम उभर कर आ रहा है।
वैसे तो पटना में कई कैफे हैं जो कम पैसे में बेहतरीन गुणवत्ता वाले भोजन परोसते हैं। कई ऐसे कैफे होंगे जिनके बारे में आपने सुना होगा। वहां दौरा किया होगा, लजीज भोजन और पेय पदार्थों का स्वाद लिया होगा।
लेकिन आज हम ऐसे कैफे का नाम बताने जा रहे है, जो कई लोगों से बातचीत करने के बाद उभर कर सामने आया। कैफे की विशेषता होती है कि शाकाहारी प्रेमियों और मांसाहारी प्रेमियों को आपके अनुसार खाने पेश किए जाते है। लेकिन हां कई बार एक ही स्थान पर दोनो चीजों का स्वाद मिल पाना मुश्किल हो जाता है । इसलिए हम पटना के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह की कैफे की बात करेंगे है, जहां आप अपने वातावरण के अनुकूलित जा सकते है।
ढाबा कैफे
हीरा पैलेस फ्रेजर रोड की पहली मंजिल पर स्थित है। यह कैफे शाकाहारी लोगों के बेस्ट विकल्प है। क्योंकि यह पूरी तरीके से शाकाहारी कैफे है। ढाबा कैफे साइकिलों, ट्रैक्टर का एक हिस्सा, टायरों, पुराने स्कूटरों, उपयोग किए हुए बल्बों को इस्तेमाल कर बनाया गया है। इस कैफे के मेनू सेक्शन में आपको कई तरह के वयंजन, पेय पदार्थ शामिल किए गया है। संगीतकारों के लिए भी एक जगह बनाई गई है।
कुकबुक रेस्तरां और कैफे
साईं मंदिर, पाटलिपुत्र में तीसरे मंजिल पर स्थित है। यह कैफे शाकाहारी और मांसाहारी लोगों के लिए अच्छी है। कुकबुक कैफे की खास बात यह है कि मेनू मौसमी रूप से बदलता है, कुकबुक नाम से ही सपष्ट है अपने भोजन का आनंद लेने के साथ-साथ आप किताबे पढ़कर सकते है। यहां माहौल, लाइव संगीत का है।
हैंगआउट कैफे
जी.वी. मॉल बोरिंग रोड चौराहा ग्राउंड फ्लोर पर स्थित है। हैंगआउट कैफे में रविवार को डिस्को नाइट सुविधाएं है। इस कैफे में आप अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ मज़े करने जा सकते है। यहां आप अपने स्पेशल दिन को और स्पेशल बना सकते है। इस कैफे की जो सबसे खास बात है कि फोटो खिंचाने के शौकीन लोग फोटो शूट करा सकते है, उसके लिए फोटो सेशन की व्यवस्था की है। यहां शाकाहारी और मंसाहारी दोनो
तरह के लोग आ सकते है।
कैफे हाइडआउट
हाइडआउट कैफे बोरिंग रोड पटना पहली और दूसरी मंजिल पर स्थित है। यह कैफे क्वालिटी समय बिताने के लिए अच्छी पसंद है। इस कैफे में आप बर्थडे, एनिवर्सरी मना के लिए अच्छी जगह बनाई गई है। यहां का पिज्जा काफी प्रसिद्ध है। बुनियादी ढांचा के साथ साथ प्रकाश की व्यवस्था काफी मनमोहक है। कम कीमत में अच्छी गुणवत्ता वाले ऑप्शन मेनू में देखने को मिलते है। इस कैफे में आप शाकाहारी भोजन और मंसाहारी भोजन दोनो का स्वाद ले सकते है।
कैफे 13
कैफे 13 सूर्या क्रिस्टल, बोरिंग रोड , पहली मंजिल पर स्थित है। यह कैफे शाकाहारी लोगों के लिए पमसंदीदा जगहों में से एक हो सकती है। कैफे 13 की मेनू में कई ऐसे व्यंजन का नाम है जिस देखते ही मुंह में पानी आ जायेगा। यहां का माहौल काफी खुशनुमा है, भोजन के साथ लाइव संगीत का आनंद उठा सकते है। कैफे 13 का पेय पदार्थों की लिस्ट काफी लंबी है। परिवार, दोस्त के साथ समय बिताने, गपसप करने के लिए काफी अच्छी जगह है।